मनोज पांडेय, मिर्जापुर, विंध्याचल
विन्ध्यवासिनी मन्दिर पर कुछ समय से दर्शनार्थियों के साथ आये दिन दुर्व्यवहार व मारपीट की घटनाएं प्रकाश में आ रही है। बिडम्बना तो यह है कि यह कुकृत्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों द्वारा ही किया जा रहा है। विगत कुछ महीनों से ऐसी कई घटनाएं चर्चा में है। जानकारी के अनुसार ऐसी ही घटना रविवार की दोपहर मन्दिर बन्द होने के पूर्व गर्भगृह से बलपूर्वक बाहर निकालते समय एक दर्शनार्थी जो मध्यप्रदेश इंदौर से अपनी गर्भवती पत्नी के साथ आया हुआ था, उसके साथ घटी। पुलिसकर्मी के धक्के से दर्शनार्थी की गर्भवती पत्नी पीतल के दरवाजे से टकरा गई। टकराने के बाद झल्लाहट में जब उक्त व्यक्ति ने तैनात पुलिसकर्मियों से प्रत्युत्तर किया तो पुलिसकर्मियों ने उस दर्शनार्थी को उसके परिजनों के सामने घसीटते हुए मन्दिर स्थित प्रशासनिक भवन में ले गए।
सूत्रों की माने तो प्रशासनिक भवन के अंदर उक्त दर्शनार्थी को काफी डराया धमकाया भी गया और यह कहकर छोड़ा गया की शान्ति पूर्वक यहाँ से चले जाओ वरना मुकदमे में फंस जाओगे। पुलिस की इस कृत्य से वहाँ मौजूद दर्शनार्थियों में काफी नाराज़गी भी देखी गई जो पुलिसकर्मियों व्यवहार पर कड़ी आपत्ति व्यक्त कर रहे थे।
पूर्व में जब कभी किसी तीर्थपुरोहित व दर्शनार्थियों में नोकझोक होती थी तो बिना दोनों पक्षों की बातों को सुने सीधे तीर्थपुरोहित के विरुद्ध मुकदमा तज पंजीकृत हो जाता था। पर पुलिस द्वारा आये दिन यह कुकृत्य किये जाने के बावजूद उनके विरुद्ध कोई दण्डात्मक कार्यवाई क्यों नही की जाती। जिन श्रद्धालुओं की सुविधाओं के दृष्टिगत प्रदेश सरकार द्वारा लाखों रुपये प्रतिवर्ष खर्च किये जाते है। सैकडों करोड़ की लागत से जिन श्रद्धालुओं को लुभाने के लिए विन्ध्य कॉरिडोर का निर्माणकार्य प्रगति पर है। उन श्रद्धालुओं के साथ अमानवीय व्यवहार पर कोई कठोर कार्यवाई क्यों नही की जाती। स्थानीयों की माने तो कहीं न कहीं इसके लिए पण्डासमाज भी जिम्मेदार है जो इन तमाम घटनाओं का सार्वजनिक विरोध न करके मौन रहने में ही विश्वास करता है।