भावना वर्मा/रोजाना खबर,मेरठ
एक तय रणनीति के तहत गिगाफैक्ट्री और ब्लू हाइड्रोजन सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा जो मुकेश अंबानी के देखरेख में ही होगा। अंबानी ने पिछले साल अगले 15 वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं पर 75 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई थी। पिछले साल मुकेश अंबानी ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ा रहा भारत प्रौद्योगिकी में परिवर्तन के दम पर दुनिया में ऊर्जा का नया अगुवा बन सकता है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के अध्यक्ष और एशिया को दूसरे सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अंबानी ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अपने कदम बढा दिए हैं। हाल में ही अपने बच्चों को अन्य व्यवसाओं का प्रभारी बनाने के बाद अंबानी इस क्षेत्र में ध्यान केन्द्रीत करने को तैयार हैं। एक तय रणनीति के तहत गिगाफैक्ट्री और ब्लू हाइड्रोजन सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा जो मुकेश अंबानी के देखरेख में ही होगा। अंबानी ने पिछले साल अगले 15 वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं पर 75 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई थी। सूत्रों के अनुसार रिलायंस भारत के ऊर्जा क्षेत्र में अरबों डॉलर के निवेश की मांग कर रहा है और मध्य पूर्वी फंड सहित संभावित निवेशकों से संपर्क किया है।
लोगों का मानना है कि मुकेश अंबानी की महत्वाकांक्षा ऊर्जा क्षेत्र को बाधित करने की है, जैसा कि उन्होंने अपनी मोबाइल फोन कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड के साथ किया था। 206 अरब डॉलर के बाजार मूल्य के साथ रिलायंस के पास कार्बन शुद्ध-शून्य करने के लिए 2035 का लक्ष्य है। अंबानी ने पिछले अगस्त में शेयरधारकों को बताया कि जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा के लिए भारत का परिवर्तन कई दशकों से रिलायंस के निरंतर “अति-विकास” का अवसर प्रदान करेगा। अडानी ने, अपनी ओर से, दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय खिलाड़ी बनने के लिए $70 बिलियन का वचन दिया है।
पिछले साल मुकेश अंबानी ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ा रहा भारत प्रौद्योगिकी में परिवर्तन के दम पर दुनिया में ऊर्जा का नया अगुवा बन सकता है। साथ ही भारत अगले दो दशक में 500 अरब डॉलर मूल्य की हरित ऊर्जा का निर्यात करने की स्थिति में पहुंच जाएगा। अंबानी ने कहा कि भारत आज नवीकरणीय ऊर्जा निवेश के नजरिये से दुनिया की सर्वाधिक आकर्षक जगहों में से एक है। हालांकि, उन्होंने कहा कि स्वच्छ एवं उत्सर्जन-मुक्त ऊर्जा की तरफ कदम बढ़ाने का काम रातोरात नहीं हो सकता है और कोयला एवं आयातित तेल पर भारत की निर्भरता अगले दो-तीन दशकों तक बनी रहेगी।
रिलायंस समूह की कंपनियों में भी स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की तरफ बढ़ा रहे अंबानी ने कहा, अगले दो-तीन दशकों में उत्सर्जन खत्म करने के लिए हमारे पास योजना होनी चाहिए।
