- 1990 के दशक के दौरान ऐसी फिल्मों का जलवा हुआ करता था. उन दिनों इन फिल्मों के देखने के लिए सिनेमाघरों में भारी भीड़ उमड़ती थी लेकिन 2004 आते-आते ऐसी फिल्मों के सितारे गर्दिश में चले गए.
रोज़ाना खबर ब्यूरो
मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में इस तरह की फिल्मों पर अमेजन प्राइम की डॉक्यूसिरीज में गुलाटी और इन जैसे निर्देशक ऐसी फिल्मों के बारे में तफसील से बात करते और इनके प्रोडक्शन के बारे में बात करते दिखते हैं.
बॉलीवुड में ‘बी ग्रेड’ कही जाने वाली फिल्मों को कमतर समझा जाता है. लुगदी उपन्यासों की तरह ही इन ‘पल्प’ फिल्मों की भी अलग दुनिया है. ये फिल्में काफी छोटे बजट और बेहद कम समय में बनाई जाती हैं.
इनमें अनाम कलाकार काम करते हैं. फिल्म की कहानी छोटी होती है. भावुक संवादों, बेहद भड़कीले सेट और सेक्स ऐसी फिल्मों के अहम तत्व होते हैं.